पितृ को दी विदाई



आज पितृअमावस्या है और ऋषिकेश त्रिवेणी घाट पर अलग-अलग जिलों से लोग मां गंगा के पावन तट पर पहुंच रहे हैं और अपने पितृ का श्राद्ध तर्पण कर रहे हैं।

  गंगा तट पर मौजूद ब्राह्मण पूरे विधि विधान के साथ पिंड दान करा कर श्राद्ध की प्रक्रिया को पूर्ण कर रहे हैं। बता दें कि श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण के साथ पितृ की विदाई की जाती है 
हिन्दू धर्म मे श्राद्ध पक्ष को पित्रो के मोक्ष के लिए किया जाता है। पंडितों के अनुसार, इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है, क्योंकि इस दिन उन मृत लोगों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण कर्म किए जाते हैं, जिनकी मृत्यु तिथि मालूम नहीं होती है। अगर किसी कारण से मृत सदस्य का श्राद्ध नहीं कर पाए हैं तो अमावस्या पर श्राद्ध कर्म किए जा सकते हैं। हिन्दू धर्म मे पितृ मोक्ष अमावस्या पर सभी ज्ञात-अज्ञात पितृ के  पिंडदान आदि कर्म करना चाहिए। मान्यता है कि पितृ पक्ष में सभी पित्र देवता धरती पर अपने गोत्र घरों में आते हैं और धूप-ध्यान, तर्पण आदि ग्रहण करते हैं।।

    अमावस्या पर सभी पितृ अपने लोक लौट जाते हैं।


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