परम पूजनीय माता निर्मला देवी सहज योग की  संस्थापिका का चैतन्य रथ पहुंचा देहरादून 

डोईवाला से ज्योति यादव की रिपोर्ट:—
परम पूजनीय माता निर्मला देवी सहज योग की  संस्थापिका का चैतन्य रथ पहुंचा देहरादून
डोईवाला:–माता निर्मला देवी के जन्म स्थान छिंदवाड़ा Madhya Pradesh (एमपी) से अपनी यात्रा शुरू करते हुए और हिमाचल प्रदेश में एक महीने बिताने के बाद यह रथ दून घाटी पहुंचा।
रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में बड़ी संख्या में सहजयोगी  उत्साह पूर्वक मालाओं से सजाए गए रथ को प्रतीक्षा में खड़े हुए थे ।
रथ को देहरादून के गलजवाड़ी गंगोल पंडितवाड़ी स्थित सहज धाम के मुख्य आश्रम में ले जाया गया और पूरे उत्साह के साथ मां की सुंदर स्तुति व भजनों के साथ सहज योग के मुख्य केंद्र सहजधाम लाया गया ।
देहरादून के नगर समन्वयक श्री मंगल सिंह तोमर ने कहा कि रथ 31 मई को डोईवाला के  लिए प्रस्थान करेगा।
इन 5 दिनों में विभिन्न जगहों में आत्मसाक्षात्कार के कार्यक्रम रखे गए हैं जो की पूर्णता निशुल्क है , सहज योग पद्धति से ध्यान  द्वार मनुष्य अपने मानसिक आध्यात्मिक व बौद्धिक उत्थान में इजाफा कर  संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ ले सकता है।
साधकों के लिए आत्म साक्षात्कार का आयोजन इन जगहों में किया गया था 27 मई शाम 4:30 बजे मॉडर्न जूनियर हाई स्कूल  तेलपुरा सेलाकुई 28 मई 4:30 बजे दुर्गा जी मंदिर श्यामपुर प्रेम नगर 29 मई शाम 4:30 बजे आत्माराम धर्मशाला किशन नगर चौक 30 मई शाम 4:30 बजे सिगनेचर टावर डी ब्लॉक 143 नेहरू कॉलोनी
“सहजयोग” मानव के कल्याण हेतु वर्ष 1970 से कार्य कर रहा है एवं विश्व में 140 से अधिक देशों में इस जन जागरण के माध्यम से लाखों लोगों ने शारीरिक मानसिक एवं भावनात्मक समस्याओं से छुटकारा पा कर, अपने जीवन को वास्तव में सुखमय व आनंदमय बना लिया है। प पू श्री माता जी निर्मला देवी जी द्वारा सहज में ही मनुष्य में स्थित कुंडलिनी शक्ति के जागरण को सहज में ही संभव कर दिया गया जिसकी प्रचीति प्रत्येक मनुष्य अपने सूक्ष्म शरीर के नाड़ी तंत्र पर कर सकता है। कुछ दिनों के अभ्यास से ही इसका प्रभाव स्वयं ही सिद्ध हो जाता है।
सहजयोग पूर्णतः निशुल्क है एवं सभी जाति, धर्म, संप्रदाय व आयु इत्यादि की सीमाओं से ऊपर है। कोई भी मनुष्य इसे आसानी से प्राप्त कर सकता है।  अर्थात “सहजयोग” भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांत “सर्व धर्म समभाव” को समस्त मानव मात्र में स्थापित करने में सम्पूर्ण विश्व में कार्यरत है।
आज के वातावरण में तनाव व अवसाद (डिप्रेशन) से ग्रसित मनुष्य को भी सहजयोग से पहले ही दिन से अत्यंत लाभ का अनुभव हुआ है, फिर चाहे वह किसी भी उम्र का व्यक्ति क्यों न हो। युवा वर्ग के सर्वांगीण विकास में सहजयोग पद्धति से ध्यान करने के अभूतपूर्व सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं।  सहजयोग विधि से ध्यान धारणा के लिए किसी प्रकार की कोई पूर्वशर्त नहीं है।

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