उत्तराखंड सरकार ने ‘लैंड जिहाद’ पर कसा प्रहार, 5000 एकड़ ज़मीन को खाली कराया: CM धामी ने कहा – भगवान राम की कृपा, देवभूमि को मूल स्वरूप में बनाए रखेंगे


उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार (29 दिसंबर, 2023) को कहा कि प्रदेश में 5000 एकड़ से अधिक की ‘लैंड जिहाद’ के जरिए हड़पी भूमि को उनकी सरकार ने मुक्त कराया है और आगे भी उनकी कोशिशें जारी रहेंगी। दरअसल, दिल्ली के IP एक्सटेंशन में एक ‘राम कथा’ में भाग लेने के दौरान उन्होंने ये खुलासा किया।

सीएम धामी ने कहा, “देवभूमि के अंदर हमने बहुत सारे चुनौतीपूर्ण और कठिन काम उन पर भी भगवान राम की कृपा से हमने निर्णय लिया है कि हम उस पर आगे बढ़ेंगे। कठोर निर्णय लेने से भी हम पीछे नहीं हटेंगे। हमने कठोर निर्णय लिए हैं फिर चाहे वो अतिक्रमण का मामला हो क्यों न हो।”

उन्होंने आगे कहा कि आपने ने देखा होगा राज्य के अंदर आज 5 हजार एकड़ से भी ज्यादा जमीन जो ‘लैंड जिहाद’ के तौर पर अतिक्रमण की गई थी उसे अतिक्रमण से मुक्त कराने का काम हमने किया है। प्रदेश के अंदर जो ‘लैंड जिहाद’ चलता था उस लैंड जिहाद से मुक्ति का काम हमने प्रारंभ किया है।”

इस दौरान सीएम धामी ने ये भी कहा कि इस सबके साथ-साथ देव भूमि का जो मूल स्वरूप है। जिसके लिए देव भूमि जानी जाती है। देवभूमि का वो मूल स्वरूप बना रहे उसके लिए हम यथा संभव हर कोशिश, हर प्रयत्न कर रहे हैं।

बताते चलें कि उत्तराखंड में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण की बार-बार शिकायतों के बाद सीएम धामी ने राज्य पुलिस और वन विभाग को सभी अवैध संरचनाओं की पहचान करने का निर्देश दिया था।

इस दौरान सीएम धामी ने कहा कि धर्म की राह पर चलने जीवन में कोई दुविधा नहीं रहती है। उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यसेवक के तौर पर धर्म के मार्ग पर चलते हुए वो जो भी फैसले लेते हैं वो खुद ही समाज हित में सही हो जाते हैं।

राज्य सरकार के मुहैया कराए गए आँकड़ों के मुताबिक, मई 2023 तक राज्य के अधिकारियों ने लैंड जिहाद के जरिए अतिक्रमण की गई कुल 3,793 ऐसी जगहों की पहचान की थी। इस तरह के अतिक्रमण के सबसे अधिक मामले नैनीताल जिले में पाए गए। इस जिले में 1,433 से अधिक जगहों पर अतिक्रमण पाया गया था।

वहीं उसके बाद 1,149 अतिक्रमण हरिद्वार जिले में पाए गए। चमोली में 423 अवैध ढाँचे पाए गए थे। वहीं राज्य के अन्य जिलों में जिनमे टेहरी (209), अल्मोड़ा (192) और चंपावत (97) शामिल हैं। अधिकांश अतिक्रमण वन भूमि पर थे। इस साल की शुरुआत में अतिक्रमण विरोधी अभियान शुरू होने के बाद से, राज्य में करीब 500 ‘मजारों’ और लगभग 50 मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया है।


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