देहरादून । गढ़वाल एवं कुमाऊं के जटिल भौगोलिक परिस्थितियों वाले दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में संगीत की मौखिक परम्पराओं के अनेक विशिष्ट रूप प्रचलित हैं। उत्तराखंड के अंचल की संस्कृति में बहुत गहरे तक बैठी प्रकृति यहां की लोक संस्कृति के अन्य अंगों की तरह यहां लोक गीतों में भी गहरी समाई हुई है। इन गीतों का मानव पर अद्भुत चमत्कारिक ईश्वरीय प्रभाव भी दिखाई देता है। जागर विधा मेँ इतिहास के मौखिक परंपरा के प्रमाण भी साबित होते हैं, और इस तरह यह ऐतिहासिक धरोहर भी हैं।
इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए सुप्रसिद्ध लोकगायक एवं देश विदेश मेँ जागर सम्राट के नाम से ख्यातिलब्ध व पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित प्रीतम भरतवाण ने गिन्ज्यालि फिल्मस के बैनर तले ‘ माहेश्वरी जागर ‘ की संरचना कर समस्त मानव जाति के कल्याणार्थ कोरोना महामारी से निजात हेतू देवी देवताओं का आह्वान क़िया है । प्रीतम भरतवाण का कहना है कि माहेश्वरी जागर प्रातःकाल नित वंदन सुमिरण क़िया जाता रहा है ।
उत्तराखंड देवी देवताओं का वासस्थल रहा है जिनका आह्वान करने से कष्ट दूर होते है। कोरोना महामारी जल्द समाप्त हो यह कामना माहेश्वरी माता से की गयी है ।
‘ गिन्ज्यालि फिल्मस’ पहाड़ी गीतों को एवं पहाड़ी संस्कृति को सम्पूर्णता की ओर ले जाने हेतू बहुधा सम्पन्न मंच उपलब्ध करवाता आ रहा है । इस चैनल ने अब तक़ कई हिट पहाड़ी गीतों को सफल मंच प्रदान क़िया है ।